VPN क्या है ? Full information 2022
दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे VPN के बारे में आखिरकार यह क्या होता है? दोस्तों अगर आप लोग भी अपनी ऑनलाइन सिक्योरिटी को लेकर बहुत ज्यादा सीरियस रहते हो एवं कहीं ना कहीं आपको यह भी लगता है। कि आपकी पर्सनल जानकारी कहीं हैकर के पास ना चली जाए इसी के साथ आप लोग अपनी ईमेल और ऑनलाइन शॉपिंग के बिल पेमेंट आदि चीजों को बिल्कुल सुरक्षित रखना चाहते हो। तो आज आप बिल्कुल सही जगह पर आए हैं। अनसिक्योर्ड वाईफाई नेटवर्क पर वेब सर्फिंग करना या फिर ट्रांजैक्शन करने का अर्थ यह होता है। अपनी प्राइवेट इंफॉर्मेशन एवं ब्राउज़र हैबिट्स को एक्सपोज करना और आप इसके बारे में सोचते भी होंगे।
तो यह बहुत खतरनाक लगता है। मगर दोस्तों VPN कहने का मतलब है ” virtual private network ” पब्लिक नेटवर्क उपयोग करते वक्त आपको प्रोटेक्टेड नेटवर्क कनेक्शन प्रदान करता है। और दोस्तों वीपीएन आपके इंटरनेट ट्रैफिक को भी इंक्रिप्ट करता है। इसी के साथ यह आपकी ऑनलाइन पहचान जो होती है। उसे छुपा देता है। ऐसे में किसी हैकर यानी कि थर्ड पार्टी के लिए आपकी ऑनलाइन एक्टिविटी को ट्रैक करना एवं आपके डाटा को चुराना बहुत ही मुश्किल काम हो जाता है। बीपीएल एक ऐसा जरिया है। जिसके माध्यम से आप लोग अपने कंप्यूटर और मोबाइल को सर्वर कंप्यूटर पर कनेक्ट कर सकते हो।
इसके बाद आप उस कंप्यूटर के इंटरनेट कनेक्शन का इस्तेमाल करके इंटरनेट पर आसानी से ब्लाउज कर पाओगे दोस्तों बीपीअन लीगल होते हैं। एवं उनका इस्तेमाल पूरी दुनिया में इंडिविजुअल के द्वारा भी किया जाता है। और अब तो कंपनियां भी वीपीएन का उपयोग कर रही हैं। जिसकी वजह से उनका डाटा हैक होने से प्रोजेक्ट हो जाए दोस्तों इसका इस्तेमाल ऐसे देशों में किया जाता है। जहां पर अत्यधिक प्रतिबंधित सरकार पाई जाती है। और वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क के बारे में इतना सब कुछ पता करने के बाद आप यह तो समझ गए होंगे कि पब्लिक नेटवर्क पर अपनी ऑनलाइन सिक्योरिटी की वजह से इसका इस्तेमाल करते हैं। अब बात यह आती है। आखिरकार यह काम किस तरीके से करता है। आइए इसके बारे में भी जान लेते हैं।
VPN के काम करने का तरीका क्या है?
दोस्तों जब आप लोग एक सिक्योर वीपीएन सर्वर के साथ कनेक्ट हो जाते हैं। तो आपका इंटरनेट ट्रैफिक एक इंक्रिप्टेड टनल से होकर गुजरने लगता है। और उसे देख पाना हर किसी के बस में नहीं होता है। चाहे भले ही वह हैकर हो या फिर सरकार एवं आपका इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर भी उसे देख नहीं पायेगा जब आप इसका उपयोग करोगे तो आपको एक डाटा को कोई पढ़ नहीं सकता है। और दोस्तों यह दो कंडीशन में काम करता है। और वह कौन सी कंडीशन में उनके बारे में हम आप को बारीकी से बताने वाले हैं।
VPN के साथ में
दोस्तों जब हम बीपीएल का इस्तेमाल किए बगैर वेबसाइट को एक्सेस कर लेते हैं। तो उस इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर यानी कि आईएसपी के माध्यम से साइट पर कनेक्ट हो पाते हैं। आपको बता दें इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर हमें एक यूनिक आईपी ऐड्रेस प्रदान करता है। क्योंकि इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर ही हमारे सारे ट्रैफिक डायरेक्टर को हैंडल कर लेता है। और वह उन वेबसाइट का भी पता लगा लेता है। जिन पर हम जाते हैं। तो इस प्रकार प्राइवेसी सिक्योरिटी नहीं रहती है।
VPN के बिना
दोस्तों जब हम बीपीएल के माध्यम से इंटरनेट से जुड़ जाते हैं। तो हमारे डिवाइस पर जो इसका एप्लीकेशन होता है। उसे वीपीएन क्लाइंट भी कहते हैं। और वह वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क के सर्वर से सिक्योर कनेक्शन इस्टैबलिश्ड कर देता है। और हमारा ट्रैफिक अभी भी इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर से होकर जाता है। मगर इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर ट्रैफिक की फाइनल डेस्टिनेशन को देख नहीं सकता है। जिन वेबसाइट पर हम जाते हैं। वह हमारा और ओरिजिनल आईपी ऐड्रेस देख नहीं सकती हैं। यानी कि जब ऑफिस के सर्वर से कनेक्ट हो जाते हो।
तो जिन वेबसाइट पर आप विजिट करते हो उस पर आपका आईपी एड्रेस पहुंच नहीं पाता है। यानी कि इस सर्वर का जाता है। जिसे आपने कनेक्ट कर रखा है। आपका आईपी हाइड कर दिया जाता है। इसके बाद आगे उस सरोवर के आईपी को भेज दिया जाता है। जिससे आप की डिटेल्स आगे जा नहीं सकती है। इस प्रकार सामने वाला व्यक्ति यह भी नहीं जान पाता है। कि आखिरकार विजिट किसने किया है। क्योंकि इसे आपकी आईडी को छोड़कर सरवर का आईपी मिलता है।
VPN की आवश्यकता क्यों पड़ गई थी ?
हम आपको बताना चाहेंगे कि सबसे पहले 1996 में VPN को माइक्रोसॉफ्ट के द्वारा बनाया गया था। जिसकी वजह से रिमोट एंप्लाइज कहने का मतलब है ऐसे एंप्लोई जो उस ऑफिस में बैठकर काम नहीं कर पाते हैं। बल्कि उसके बाहर रहकर कहीं से भी काम कर रहे हो वह एम्पलाई कंपनी का इंटरनेट का सिक्योर एक्सेस कर पाए मगर ऐसा करने के द्वारा कंपनी की प्रोडक्टिविटी डबल हो गई थी। तो इस प्रकार बाकी की जो कंपनियां थी उनके द्वारा इसे अडॉप्ट किया जाने लगा था।
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हम VPN का इस्तेमाल कब कर सकते हैं ?
दोस्तों जो आपकी प्राइवेसी है। वह आपके लिए बहुत ही ज्यादा जरूरी है। तो ऐसे समय में आपको हर बार इंटरनेट से कनेक्ट होते समय वीपीएन का इस्तेमाल करना ही चाहिए। इसके अलावा और भी कुछ ऐसी परिस्थिति होती हैं। जिनमें भी आपको इसका इस्तेमाल करना चाहिए उदाहरण के तौर पर स्ट्रीमिंग के साथ में, ट्रैवलिंग के समय, पब्लिक वाईफाई को उपयोग करते वक्त एवं गेमिंग और शॉपिंग करते वक्त ऐसी परिस्थितियों में आपस का उपयोग कर सकते हैं।
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VPN कितने प्रकार का होता है ?
दोस्तों मुख्य रूप से VPN के 2 तरीके होते हैं
• remote access
• site to site VPN
दोस्तों अगर आप लोग इन दोनों वीपीएन के बारे में सारी जानकारी स्टेप बाई स्टेप तरीके से अपने हाथों में हासिल करना चाहते हैं। तो इस पोस्ट को आगे तक पढ़ते रहिए।
Remote access : दोस्तों इस बीपीएल के माध्यम से उपयोगकर्ता अन्य नेटवर्क पर एक प्राइवेट इंक्रिप्शन टनल के द्वारा कनेक्ट हो जाते हैं। और इसके द्वारा कंपनी के इंटरनेट सर्वर या फिर पब्लिक इंटरनेट से कनेक्ट हो सकते हैं।
Site to site VPN : दोस्तों इस वीपीएन को router to router VPN भी कहते हैं। इस प्रकार के उपयोग ज्यादातर कॉरपोरेट एनवायरनमेंट में होता है। मुख्य रूप से जब एक एंटरप्राइज कई डिफरेंट लोकेशन पर हैडक्वाटर्स होते हैं। तो ऐसे समय में site-to-site ऐसा क्लोज इंटरनल नेटवर्क बना देता है। जिस जगह पर सभी लोगों से एक साथ कनेक्ट हो जाती हैं। इसे इंट्रानेट भी कहते हैं। दोस्तों इस के द्वारा आपको बहुत सारे फायदे देखने के लिए मिलते हैं। जैसे कि आपकी ब्राउजिंग हिस्ट्री, आईपी एड्रेस और लोकेशन, स्ट्रीमिंग लोकेशन, डिवाइस एवं देव एक्टिविटी हाइड कर दी जाती हैं। मगर दोस्तों फायदों के साथ-साथ इसके कुछ नुकसान भी होते हैं। जैसे कि स्लो स्पीड, नो कुकि प्रोटेक्शन एवं नोट टोटल प्राइवेसी आदि।
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आज आपने क्या सीखा ?
दोस्तों आज की इस पोस्ट के अंदर हमने आपको VPN के बारे में संपूर्ण जानकारी देने की पूरी पूरी कोशिश की है। और हमें आशा है कि आप को हमारी इस पोस्ट को पढ़ने के बाद बहुत कुछ नया सीखने के लिए मिला होगा अगर आपको यह पोस्ट पसंद आई हो तो आप इसे अपने दोस्तों में भी शेयर कर सकते हैं। इस पोस्ट को शुरू से लेकर एंड तक ध्यान से पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद।